9 अगस्त के दिन इरोम शर्मिला अपना उपवास तोड़ने जा रही हैं। इरोम शादी करेंगी और चुनाव लड़ेंगी। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम सब इरोम शर्मिला की कहानी का ठीक से पाठ करने में चूक गए। आए दिन कोई न कोई नेता भारत के लोकतंत्र की महानता का गुणगान करते रहते हैं, क्या वे लोग भी चूक गए। सोलह साल तक किसी एक शख्स ने उपवास के ज़रिये अपनी बात रखी हो, क्या उसका धीरज महान लोकतंत्र की राज्य व्यवस्थाओं के लिए मिसाल नहीं है।