भ्रष्टाचार न दिखे तो इसका मतलब यह नहीं कि वो कहीं हो नहीं रहा है। इसके लिए ज़रूरी है कि इसकी खोज करने वाले से लेकर निगरानी और सुनवाई करने वाली संस्थाएं भी अपने पूरे वजूद के साथ स्वतंत्र रूप से कार्य करें। भ्रष्टाचार को जड़ से मिटा देने वाला सरकारी महानायक अर्थात लोकपाल अभी तक नहीं आ सका है। वैसे ये 1969 से ही आ रहा है। लोकपाल तय करने के लिए बनने वाले खोजपालों का भी अब तक पता नहीं है।