कोलकाता में गिरे निर्माणाधीन फ्लाईओवर के डिज़ाइन को देखकर लगता है कि भारत में इंजीनियरिंग और डिज़ाइन की पढ़ाई बंद हो गई है। न समझ, न कल्पना दिखती है। इस पुल को बनाने से पहले यह तक नहीं सोचा गया कि आसपास के मकानों और लोगों के जीवन पर क्या असर पड़ेगा। यह सारे मकान साठ से सत्तर साल पुराने हैं। इनके बीच से दो किलोमीटर लंबा पुल गुजारने का ख्याल किस महान वैज्ञानिक का था उसे हाजिर किया जाना चाहिए।