राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि एक-दूसरे की संस्कृतियों, मूल्यों और आस्थाओं के प्रति सम्मान एक ऐसी अनूठी विशेषता है, जिसने भारत को एक सूत्र में बांध रखा है. उन्होंने कहा कि बहुलवाद का मूल तत्व हमारी विविधता को सहेजने और अनेकता को महत्व देने में निहित है.