मुज़फ्फ़रनगर में हिंसा की कहानी कुछ और मोड़ लेती है. वहां पर प्रदर्शनकारियों पर गोली किसने चलाई, घरों और दुकानों में लूटपाट किसने की? क्या दूसरे संगठन को लोग प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने आए थे, हिंसा के इरादे से आए थे? क्या इन्हें पुलिस की शह हासिल है? स्क्रॉल डॉट इन में सुप्रीय शर्मा ने पूर्व कांग्रेस सांसद सैइदुज्ज़मा के बेटे से बात की है. उनकी चार कारें जला दी गई हैं। उनका आरोप है कि पुलिस और संघ के लोगों ने हिंसा की. हमारे सहयोगी सौरभ शुक्ला का कहना है कि मुज़फ्फरनगर की स्थिति बताती है कि पुलिस ने तोड़फोड की है. ये सब कैमरे में कैद न हो इसलिए सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए गए हैं. आखिर पुलिस को सीसीटीवी कैमरे तोड़ने की ज़रूरत क्यों पड़ी?