प्रधानमंत्री मोदी के एक घंटे से लंबे भाषण में तमाम बातें कही गईं. बात राजनीतिक थीं, सामाजिक थीं, आर्थिक भी थीं. पीएम मोदी के इस स्पीच से उभरते हैं तीन अहम सवाल. सवाल नंबर-1, पीएम मोदी कहते हैं सब साथ में आकर काम करें, न्योता है विपक्ष को, लेकिन एक घंटे के भाषण में तमाम कटाक्ष और वार हुए विपक्ष पर. ये कैसा साथ? प्यार भी और वार भी? दूसरा सवाल यह है कि पीएम मोदी ने गांधी, नेहरू, पटेल, आंबेडकर और लोहिया सबकी बात की. क्या सबका सपना पूरा करेंगे मोदी? स्पीच के दौरान प्रधानमंत्री ने तमाम आर्थिक बदलावों का ज़िक्र किया. कृषि में निजी निवेश, अनुसंधान पर ज़ोर, स्किल इंडिया को बड़े पैमाने पर लेना. क्या इसको मोदी के बजट का ब्लूप्रिंट माना जाए?