सारी बड़ी बातों और बड़ी ख़बरों के बीच कभी ख़ुद को रख कर देखिएगा कि सिस्टम के जब चक्कर लगते हैं तब आपका क्या अनुभव रहता है. सैंकड़ों की संख्या में लोग हमारे पास अपनी ऐसी कहानियां भेजते रहते हैं. पढ़ कर या सुनकर बहुत दुख भी होता है. काश सारा मीडिया इन्हीं की बातों को सरकार तक ले जाता तो सबको मना करने का अफसोस मुझ पर भारी न पड़ता. इसका सिम्पल कारण यह है कि सिस्टम ने लोगों को इस कदर पीस दिया है, कि उन कहानियों का पीछा करने, सारी घटनाओं के तार को जोड़ने में भी काफी वक्त लग जाए. फिर भी कभी कभी लगता है कि इस कहानी पर रूकते है. जहां तक संभव होता है एक बार कहते हैं आपके सामने.