ना खाता न बही, बस भक्त आएं नोटों की गड्डियां, जेवर, कीमती सामान चढ़ाएं. रजिस्टर में नाम और पता नोट कर एक टोकन आगे बढ़ाया, भक्त ने टोकन लिया, हाथ जोड़े और चल दिए. ये नज़ारा दिखता है मध्यप्रदेश के रतलाम के माणकचौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर का. जो दीपोत्सव में भक्तों की तिजोरी बन जाएगा. ये लोग भाईदूज के दिन आंएगे और टोकन देकर अपना धन वापस ले जाएंगे.