पिछले साल जबसे कोरोना के संक्रमण की शुरुआत हुई है तब से डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ पर काम का बोझ इस कदर बढ़ गया है कि उनके लिए आराम या छुट्टी शब्द बेमानी हो गया है. दिन रात बस मरीजों की सेवा में जुटे रहना, उनकी जिंदगी बचाना ही एकमात्र मकसद रह गया है. कुछ मरीजों को मौत से ना बचा पाने की पीड़ा दिमाग को झकझोरती रहती है. खुद के संक्रमण का खतरा, अपनों से दूर रहने की मजबूरी के बीच भी डॉक्टर और उनकी टीम मरीजों को बचाने में जुटी रहती है. इसके बावजूद वो हमेशा मरीज के रिश्तेदारों, सरकार और मीडिया के निशाने पर रहते हैं. जबकि जरूरत है उनके दुख दर्द को भी समझने की क्योंकि असली कोरोना योध्दा कोई है तो वो डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ है. डॉक्टरों की इसी पीड़ा और उलझन में भी जीवन बचाने के लिए समर्पित उनके जज्बे को समझने के लिए एनडीटीवी संवाददाता सुनील सिंह ने डॉक्टर के साथ बिताया पूरा एक दिन...