अगर इतिहास का कोई अंधेरा अध्याय हो तो आप क्या करेंगे. उस धब्बे को छुपाने की कोशिश या फिर उससे सीख लेने की. रेत में सिर गड़ाकर एक शर्मसार वाली हकीकत से भागेंगे या फिर आने वाले पीढ़ियों को बताएंगे कि ऐसा अंधेरा और लज्जित करने वाला अध्याय फिर न लिखा जाये. अक्सर होता यही है कि हम अपनी राष्ट्रीय शान या देश के गौरव की खातिर अतीत के सुनहरे पन्नों को दिखाते है लेकिन कालिख को छुपा देते हैं. पहले विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी जिस दौर से गुजरा और वहां नस्लवाद के नाम पर जो क़त्लेआम हुये - बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों और महिलाओं और युवाओं पर जो बीती वह एक शर्मानक अध्याय है.