म्यांमार के रोहिंग्या लोग लगभग वही मुसीबत झेल रहे हैं जो सीरिया के लोगों को झेलनी पड़ी. इनके अपने घर जला दिए गए, इन्हें मारा-पीटा गया, इनकी औरतों के साथ रेप हुआ. ये अपना मुल्क छोड़कर भागने को मजबूर हैं और इनको पनाह देने वाला कोई नहीं है. ऐसे तीन लाख से ज़्यादा लोग बांग्लादेश से भारत तक एक छत या एक ठिकाना तलाश रहे हैं. लेकिन इनकी मुसीबत पर किसी की नज़र भी नहीं है क्योंकि ये यूरोप के शरणार्थी नहीं, दक्षिण एशिया के गरीब देशों के बीच बेसहारा भटक रहे लोग हैं.