74 साल के देसराज जोधसिंह बियाडु ने अपने पोते-पोतियों की पढ़ाई के लिए पहले अपना मुंबई का घर बेचा, हिमाचल प्रदेश के गांव में मकान बनवाया. अपनी पत्नी को पोते-पोती के साथ रहने के लिये गांव भेज दिया और खुद मुंबई में ऑटो में ही रहकर उसे चलाकर होने वाली कमाई घर भेजते हैं ताकि बच्चे पढ़ सकें. सोशल मीडिया पर 74 साल के दादा के त्याग और परिश्रम की कहानी देख और सुन अब तक 5 लाख की मदद मिल चुकी है और 24 लाख के मदद का आश्वासन मिला है.