एक शख्स जो डॉक्टर बनना चाहता था लेकिन बन नहीं पाया. फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और दो अस्पताल खोले वो भी चैरिटेबल. लोक सेवा के समर्पण के चलते तमिल यूनिवर्सिटी ने 2016 में डॉक्टर की उपाधि दी. आज डॉक्टर अमानुल्लाह डॉक्टरों के साथ मिलकर गांवो में जरूरतमंद गरीब मरीजों को मुफ्त दवाई दे रहे हैं.