अब बात हिम्मत और हौसले की मिसाल नौसेना के एक कमांडर अभिलाष टॉमी की जो एक बार अकेले धरती की समंदर के रास्ते परिक्रमा कर चुके हैं.दूसरी बार वो इसी परिक्रमा के लिए निकले गोल्डन ग्लोब रेस के तहत जो पचास साल बाद आयोजित की गई. इस बार उन्हें सिर्फ़ मस्तूल की एक नौका के सहारे रेस करनी थी वो भी बिना किसी आधुनिक उपकरण के.लेकिन 21 सितंबर को समंदर में आए तूफ़ान में फंस गए, उनकी नौका का मस्तूल टूट गया, कमर की हड्डी टूट गई, इसके बाद सत्तर घंटे तक वो समंदर की उफ़नती लहरों में ज़िंदगी और मौत के बीच झूलते रहे... नौसेना एक बचाव अभियान में उन्हें वापस लाई. इस बीच क्या कुछ गुज़रा. ये जानने के लिए हमारे सहयोगी राजीव रंजन ने बात की कमांडर अभिलाष टॉमी से.