कांट्रेक्ट फार्मिक को सारे रोगों की दवा बताने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने होशंगाबाद के पिपरिया का उदाहरण दे दिया. अचानक से पिपरिया एक मॉडल बन गया. फिर पता चला कि वहां के किसानों ने जिस फॉर्चून कंपनी से धान के लिए अनुबंध किया था कंपनी ने धान ही नहीं खरीदा.