दंगे खत्म हो जाते हैं, लेकिन उनके निशान रह जाते हैं. वही निशान आपको बड़वानी में शाहबाज, फखरू और रऊफ के घर में भी देखने को मिलेंगे जो हत्या की कोशिश के मामले में महीने भर से जेल में बंद हैं. फिर भी दंगों के आरोपी बन गए, वहीं 16 साल का शिवम भी है जो वेंटीलेटर पर जिंदगी और मौत से लड़ रहा है. ठीक होता तो बहन की शादी में शामिल होता, लेकिन फिलहाल अस्पताल के बेड पर है.