अपने परिवार द्वारा त्याग दिए जाने और जीवन की सभी बाधाओं से लड़ने के बाद कुसुम देवी खड़ी हुईं और अपना नाम बनाया. वह अब अन्य महिलाओं को भी कौशल हासिल करने और अपना जीवन खुद बनाने में मदद कर रही हैं. वह न केवल मरते हुए कला रूप को जीवित रखने में एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं, बल्कि अन्य महिलाओं में आत्मविश्वास जगाने के साथ उन्हें सशक्त कर रही हैं.