इस वक्त हम है सिंघू बॉर्डर पर खड़े हैं. ये वही जगह है जहां लगभग एक साल पहले किसानों ने धरना बोला. हालांकि किसानों का आंदोलन तो पहले से भी चल रहा था. लेकिन किसानों ने एक साल पहले आवाज उठाई कि ये कृषि कानून उनको वापिस चाहिए. वो नहीं चाहते कि ये कृषि कानून बने. उनसे पूछा नहीं गया. उन पर थोप दिया गया.