Jhalawar School Collapse: बच्चे वर्तमान की आशा और भविष्य की ताकत होते हैं। बच्चे इंसान की जिंदगी की सबसे बड़ी ताजगी होते हैं। बच्चे एक खुशनुमा सुबह होते हैं। लेकिन उस सुबह पर भ्रष्टाचार और लालफीताशाही का अंधेरा छा जाए तो झालावाड़ जैसा हादसा हो जाता है। प्रशासन इस कदर संवेदनहीन हो जाता है कि उसकी शर्म-ओ-हया भी खत्म हो जाती है। जिस झालावाड़ के सरकारी स्कूल में छत गिरने से 7 बच्चों की जान चली गई, उस स्कूल की मरम्मत समय पर हुई होती, तो ये हादसा नहीं होता। लेकिन जिस अस्पताल में घायल बच्चों का इलाज चल रहा था, वहां तक बड़े बडे लोगों के पहुंचने के लिए सड़क बनाई जाने लगी। इसीलिए शुरु में ही हमने कहा कि लालफीताशाही। कमाल की बात है कि कलेक्टर साहेब को इसकी जानकारी ही नहीं है।