पिछले साल भी सुषमा स्वराज ने नवाज़ शरीफ की तरफ से शांति के चार बिंदुओं के प्रस्ताव का जवाब दिया था. कहा था कि हमें चार बिंदु की ज़रूरत ही नहीं है, सिर्फ आतंकवाद छोड़ दीजिए और बैठकर बात कर लीजिए। केरल में प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान से युद्ध की जगह मिलकर ग़रीबी, बेरोज़गारी और कुपोषण के खिलाफ युद्ध की बात कही, लेकिन पाकिस्तान को अलग थलग करने की बात भी कही है. क्या सुषमा स्वराज का यह भाषण उस दिशा में आक्रामक कदम है?