जितने भी नेताओं के भाषण होते हैं उनमें पर्यावरण का मुद्दा नजर नहीं आता. लेकिन जब आप चुनाव के बहाने देश के अलग-अलग हिस्सों में निकलिए तो अनगिनत कहानियां बिना खोजे ही चली आती हैं जो पर्यावरण के संकट से जुड़ी होती हैं. ऐसा नहीं है कि देश में जागरूकता का स्तर बहुत कम है. आप किसी भी स्कूल में जाइए पर्यावरण को लेकर ड्रॉइंग प्रतियोगिता होती है. भारत में पिछले साल वायु प्रदूषण से करीब 17 लाख लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा. तो क्या हमें अपनी सांसों की जरा भी फिक्र है?