नोटबंदी के बाद हमारी अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ रहा है? ये समझने के लिए हमने रुख किया गाजियाबाद और वहां की फैक्टरियों का जायजा लिया. यहां कई फैक्टरियों में नोटबंदी से पहले दो शिफ़्ट में काम होता था. नोटबंदी के 5 दिन बाद तक दो शिफ़्ट में काम हो रहा था, लेकिन अब सिर्फ रोजाना 5-6 घंटे का काम हो पाता है. कामगार गांव लौट रहे हैं. गारमेंट फैक्टरियों का बुरा हाल है. तो क्या हम यह मानें कि नोटबंदी ने इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी है?