एनडीटीवी युवा में आमिर खान ने पर्यावरण को लेकर बात की. उन्होंने कहा, 'हां, यह मुमकीन है, मगर मुश्किल बहुत है. सदियों से इंसान प्रकृति का दोहन कर रहा है. मैं अक्सर सोचता हूं कि पृथ्वी पर जो भी रहते हैं मसलन इंसान, जानवर. जानवर उतना ही उपभोग करता है जितना उसकी जरूरत है. मगर इंसान जरूरत से ज्यादा उपभोग करता है. ये कई सालों से चल रहा है. इसे रिवर्स करना मुश्किल है मगर कोशिश करते रहना चाहिए.' आमिर ने कहा कि हमारी 6 लोगों की टीम थी. उन्होंने कहा कि कुछ गांवों में राजनीति होती है और लोग जुड़ना नहीं चाहते हैं. पहले साल में 116 गावों ने हिस्सा लिया और कम से कम एक तिहाई गांवों ने बढ़िया काम किया. एक तिहाई ने मेडियम लेवल का काम किया. पहला प्रयोग हमारा सफल हो गया. न हम गांव को पैसा दे रहे हैं और हम सामान दे रहे हैं. हम सिर्फ गांवों को बता रहे हैं कि कैसे वह सूखे से उबर सकते हैं. गांव वालों ने फिर कहना शुरू कर दिया कि हम कर सकते हैं. आमिर खान ने कहा कि पूरे महाराष्ट्र में नहरों से 18 फीसदी जमीन पर पानी पहुंचता है. महाराष्ट्र सरकार भी यही चाहती है कि विकेंद्रीकृत पानी सिस्टम ही सिंचाई का एकमात्र उपाय है. उन्होंने कहा कि पानी और सूखे की समस्या को लेकर जब तक यह जन आंदोलन नहीं बनेगा, तब तक इस समस्या का समधान नहीं होगा.