ट्रेन तो हमेशा ही देर चलती रही है, तो क्या इसी कारण यह सवाल पूछना बंद कर दिया जाए कि ट्रेन लेट क्यों चल रही है. इस वक्त तो कुहासा भी नहीं है न ही तीज त्योहारों के कारण स्पेशल ट्रेन की संख्या बढ़ी है फिर भी कई ट्रेनें बीस से तीस घंटे की देरी से क्यों चल रहीं हैं. क्या इन रेलगाड़ियों में सफर करने वाले यात्रियों के समय की कोई कीमत नहीं. मीडिया के लिहाज़ से सोचिए. किसी दिन बीस हवाई जहाज़ चार से दस घंटे देर से उड़े उस दिन चैनलों पर तूफान मच जाता है. हाहाकार मच जाता मगर ऐसा क्यों है और कब तक ऐसा रहेगा कि रेल गाड़ी देर से चले और हम सवाल न करें.