चार साल से चैनलों के ज़रिए जिस नेशनल सिलेबस को चलाया जा रहा था, उस सिलेबस का जिन्ना चैप्टर कैराना में फट गया. क्या आगे के लिए भी कैराना में हिन्दू मुस्लिम टॉपिक की हार हुई है, जहां जून 2016 में मीडिया के ज़रिए समाज को बांटने का ख़तरनाक खेल खेला गया था. जिसे लेकर 2016 में न्यूज़ चैनलों पर कितनी बहस हुई थी. पलयान का किस्सा गढ़ा गया और नौकरी पढ़ाई बेरोज़गारी के सवालों को छोड़ चैनलों पर दिन रात हिन्दू मुस्लिम टॉपिक पर बहस चलती रही. मीडिया के ज़रिए एक इलाके के सामाजिक रिश्तों को ध्वस्त करने का प्रयास किया गया. झूठी ख़बरों और मनगढ़ंत बयानों को इस बहस में मान्यता दिलाई गई और 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले एक माहौल बनाया गया. यूपी चुनाव के एक साल बाद 2018 में कैराना में नेशनल सिलेबस की किताब धूल खा रही है. इसका मतलब यह नहीं हिन्दू मुस्लिम टॉपिक ख़त्म हो गया है, वो अभी भी है और उसके रूप आने बाकी हैं.