डीएमके संस्थापक एम करुणानिधि तमिलनाडु की राजनीति में एक बड़ा रिक्त स्थान छोड़कर चले गए हैं, जिसे भरना आसान नहीं होगा. सबसे ज़्यादा असर डीएमके पर पड़ेगा, जहां उनके बेटे और उत्तराधिकारी स्टेलिन को लीडर के तौर पर सबसे पहले खुद को साबित करना होगा. करुणानिधि डीएमके की कमान अपने बेटे एमके स्टालिन के हाथों छोड़ गए हैं. तमिलनाडु राजनीति के जानकार मानते हैं कि स्टालिन के पास अपने कद्दावर पिता करुणानिधि सरीखी सियासत की समझ और नेतृत्व की क्षमता की कमी है। ऐसे में सबसे अहम सवाल ये उठता है कि क्या स्टालिन भी कलईनार की तरह लोगों का भरोसा और उनका समर्थन हासिल कर पाएंगे?