गुस्ताखी माफ : चांटा शूज- निशाना लगे या न लगे, मंजिल जरूर मिलेगी

  • 0:53
  • प्रकाशित: सितम्बर 27, 2016
सच्चाई की तरह पैरों के जूतों के भी अलग-अलग रूप होते हैं. गुरु के चरण की पादुका पर शीश झुकता है, बस श्रद्धा होनी चाहिए. मंजिल कितनी भी दूर हो तो आसान हो जाती है, अगर हमसफर मुनासिब जूते हों. अगर कोई मंजिल है ही नहीं तो जूता उतार कर फेंको.

संबंधित वीडियो