संसद में बिना चर्चा के बिल पारित करने के आरोपों का केंद्र सरकार ने जवाब दिया है और कहा है कि बिलों को संसदीय समितियों के पास भेजना लोकतंत्र मापने का पैमाना नहीं है. केंद्र सरकार ने बिलों को संसदीय समितियों को न भेजने के आरोपों पर कहा कि संसदीय समितियों की स्थापना साल 1993 में हुई थी यानी 41 वर्षों तक बिल बिना संसदीय समितियों की चर्चा के संसद में रखे जाते थे.