विनायक दामोदर सावरकर एक बार फिर चर्चा में है. महाराष्ट्र में बीजेपी ने अपना घोषणा पत्र जारी करते हुए सावरकर को भारत रत्न दिलाने का वादा किया है। इसके पहले अकोला में प्रधानमंत्री ने कहा कि सावरकर के संस्कार उनके भीतर हैं. दिलचस्प ये है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी सावरकर को लेकर कुछ उदार ही दिखते हैं. सिर्फ वो उनके हिंदुत्व की आलोचना करते दिखते हैं. इसमें शक नहीं कि सावरकर का एक दौर बहुत उज्ज्वल दौर है. वो देश की आज़ादी के लिए काला पानी की सज़ा काटते हैं. बरसों वहां रहते हैं. वही थे जिन्होंने 1857 को पहला स्वाधीनता संग्राम माना. लेकिन इसके बावजूद बाद के सावरकर ऐसे सावरकर नहीं हैं जिन्हें हम भारत रत्न कह सकें.