23 मई के नतीजों में एक प्रचंड बहुमत ज़रूर आया था और विपक्ष के लिए ये बुरी खबर बनकर भी आया. खासतौर पर कांग्रेस पार्टी के लिए, जिसके अस्तित्व पर अब सवाल खड़ा हो गया है. 52 सांसदों वाली कांग्रेस अब राज्यों में वजूद बचाने की लड़ाई में है. तेलंगाना में उसके 12 विधायक टूटकर टीआरएस में चले गए. राजस्थान में गहलोत हटाओ के नारे तेज़ हो गए हैं और पंजाब में कप्तान और सिद्धू की लड़ाई से भी फूट पड़ गई है. मध्य प्रदेश की सरकार को ख़तरा तो है ही. इन सबके बाद क्या कांग्रेस का बच पाएगा वजूद? या विपक्ष की जगह अब पूरी तरह छोटी पार्टियों ने ले ली है?