घरों में करोड़ों गृहणियां (Housewives) जो अवैतनिक श्रम करती हैं, उनके श्रम का आर्थिक मूल्य जीडीपी का 7 प्रतिशत तक हो सकता है. उद्योग संघ फिक्की लेडीस आर्गनाइजेशन (FICCI Ladies Organization) की अध्यक्ष सुधा शिवकुमार ने NDTV से बातचीत में यह अहम बात कही. फिलहाल घरों में गृहणियों द्वारा किए गए काम को औपचारिक तौर पर श्रम के रूप में नहीं पहचाना जाता है. इसे GDP के आकलन में भी शामिल नहीं किया जाता है.