पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी दलों में हजारों करोड़ की नई सरकारी योजनाएं लॉन्च करने की होड़ सी लग गई है. वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त की रेवड़ियां बांटने की इस राजनीतिक जद्दोजहद के बीच ये सवाल बेहद अहम हो जाता है कि लाखों करोड़ के कर्ज में डूबे इन राज्य सरकारों के पास क्या इन योजनाओं के लिए अपने फंड हैं?