भारत और अमेरिका के रिश्तों के बीच की रस्साकशी अब लगता है थम गई है. या यूं कहें कि दोनों देशों में रिश्ते बेहतर हो रहे हैं. ट्रेड पर वॉर के बाद जब 'हाउडी मोदी' हुआ तो ये माना जाने लगा कि अब एक दोस्ती की नींव रख दी गई है. लेकिन दोस्ती कुछ ज़्यादा ही हो गई जब ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को एल्विस बोल दिया. यहां तक तो गनीमत थी. हद तब हो गई जब उनको फ़ादर ऑफ इंडिया कह दिया. इस पर सियासी जंग छिड़ गई है. क्या इसको ट्रंप की बोली हुई तमाम ऊल जलूल बातों में शामिल किया जाए या इसको दो नेताओं की एक दूसरे के प्रति ज़रूरत से ज़्यादा आत्मीयता के रूप में देखा जाए. मोदी सवालों के घेरे में हैं, ट्रंप के लिए कैंपेनिंग करने के लिए. अमेरिका को चाहिए भारत में बाज़ार. तो मुक़ाबला में हमारा सवाल है - ये रिश्ता क्या कहलाता है? ट्रंप के बयान से भारतीय राजनीति में भूचाल... राष्ट्रपिता को लेकर छिड़ा संग्राम?