मोहे रंग दे : 'लाली मेरे लाल की'

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  • प्रकाशित: मार्च 16, 2014
चारों तरफ बिखरे बहुत सारे रंगों के बीच लाल रंग जैसे पूरी सभ्यता का रंग हो जाता है। हमारे बाहर और भीतर दोनों की दुनिया इस रंग से लाल है। लाल रंग हमारी रगों में रहता है, हमारी नसों में बहता है − रक्त बनकर।

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