बाल विवाह को बलात्कार मानते हुए 7 जून को दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने एक व्यक्ति को 13 वर्षीय नाबालिग से विवाह करने और उसके साथ बलात्कार करने के जुर्म में 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। पीड़िता को उसके पुनर्वास के लिए 10.5 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया।