सीबीआई का प्रमुख खासकर डायरेक्टर को ईमानदारी और आज़ादी का एक रोल मोडल होना चाहिए. ऐसा व्यक्ति ही सभी प्रकार के बाहरी नियंत्रणों और दखलंदाज़ियों से संस्था की स्वायत्तता सुनिश्चित कर सकता है. इसके लिए ज़रूरी है कि सभी प्रकार की संस्थाओं को सीबीआई डायरेक्टर के काम में दखल देने से रोका जाए. जब कल्पना यह है कि सीबीआई का निदेशक ईमानदार होगा और सभी प्रकार के बाहरी दबावों से मुक्त होकर स्वतंत्र फैसले लेगा तब यह कैसे कहा जा सकता है कि आलोक वर्मा सरकार से टकरा रहे थे.