14 मई से शुरू हो गया कान फ़िल्म फेस्टिवल और क़रीब 30 साल बाद भारतीय निर्देशक पायल कपाड़िया की फ़िल्म ‘ऑल वे इमेजिन ऐज़ लाइट ‘ कम्पटीशन श्रेणी में पहुँची है , इससे पहले शा जी एन करुण की फ़िल्म ‘ स्वाहम ‘ 1994 में इस श्रेणी में पहुँची थी, आख़िर क्यों लगे 30 साल किसी भारतीय फ़िल्म को इस श्रेणी में दाखिल होने के लिए ? कान पर इस ख़ास बातचीत में जानिए हम कहाँ पीछे रहा गए.