बिल्डिंग इंडस्ट्री एक दोधारी तलवार होती है. जब ये मज़बूत होती है तो पूरी अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ता है. लेकिन जब ये कमजोर पड़ती है तो विकास की पूरी इमारत नीचे आ जाती है. पिछले छह साल में इस देश में पौने छह लाख मकान अधूरे पड़े हैं. बिल्डिंग इंडस्ट्री के बड़े-बड़े नामों ने लाखों मामूली लोगों का भरोसा तोड़ा है, उनकी उम्र भर की कमाई ले ली है. आम लोगों के 4.5 लाख करोड़ रुपये फंसे हुए हैं. अगर हम इन हालात से न उबरें तो एक बड़ा संकट हमें घेर सकता है.