Supreme Court की संविधान पीठ ने 6-1 के बहुमत से फैसला देकर साफ कर दिया था कि राज्यों को आरक्षण के लिए कोटा के भीतर कोटा बनाने का अधिकार है यानी राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के लिए सब कैटेगरी बना सकती हैं. राज्य विधानसभाएं इसे लेकर कानून बनाने में समक्ष होंगी.