छत्तीसगढ़ के बस्तर में कई जंग एक साथ चल रही हैं. एक जंग पुलिस की है माओवादियों को हराने और मार भगाने की. एक जंग आदिवासियों की है अपनी जान और इज़्ज़त बचाने की जो नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच पिसते रहते हैं. और एक नई जंग है जो लड़ रहे हैं बस्तर के पत्रकार, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता. ये वो लोग हैं जो मानवाधिकारों की बात उठाते हैं और उन कहानियों को आपके सामने लाते हैं जो दबी रह जाती हैं. बस्तर की पुलिस ने इन लोगों के खिलाफ भी पिछले कुछ वक्त से एलान ए जंग कर दिया है. ऐसी ही हैं एक राजनीति विज्ञानी बेला भाटिया जिन पर पिछले कुछ सालों से लगातार दबाव पड़ रहा है कि वो बस्तर छोड़ दें, लेकिन बेला भाटिया कहती हैं कि वो बस्तर में डटी रहेंगी.