भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई को लगभग मध्यवर्गीय क्रांति में बदलते हुए और एक नई नैतिक राजनीति का आहवान करते हुए दिल्ली में शानदार बहुमत के साथ सरकार बनाने वाले अरविंद केजरीवाल ने अगर समय रहते अपने कानून मंत्री से इस्तीफ़ा ले लिया होता तो शायद जितेंद्र तोमर की गिरफ़्तारी के बाद भी कम से कम उनकी छीछालेदर नहीं होती।