शायरा बानो, गुलशन परवीन, आफ़रीन, आतिया साबरी, इशरत जहां को बधाई. बात संख्या की नहीं है, अन्याय अगर अकेली ज़िंदगी में भी घटता है तो रक्षा ज़रूरी हो जाती है. स्वागत की भी अपनी राजनीति है. बहुत से लोग पूरी ईमानदारी से स्वागत कर रहे हैं. बहुत लोग इसलिए भी स्वागत कर रहे हैं कि स्वागत ही तो करना है. स्वागत-स्वागत में वे भी हैं जो कहते हैं कि लड़कियां जींस न पहने, रात को अकेली न निकले, वे भी हैं जो गर्भ में बेटियों को मार देते हैं, वे भी हैं जो एक धर्म की लड़की के दूसरे धर्म के लड़के से शादी करने पर नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी और सीआईडी जांच की मांग करते हैं.