राफ़ेल सौदे को लेकर विवाद जारी है. अब पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा है कि इस मामले में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण देश को गुमराह कर रही हैं क्योंकि 2008 में राफेल से कोई समझौता नहीं हुआ था. 2012 में राफेल को एल-1 के तौर पर चुना गया तब 18 रफ़ाल विमान सीधे आने थे और बाकी एचएएल में बनने थे और राफेल बनाने वाली कंपनी तकनीकी ट्रांसफ़र करती. पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि 2008 का कोई समझौता नहीं था इसलिए गोपनीयता की कोई शर्त नहीं थी.