सब्र की इंतेहा है कि कोई बारह घंटे खाली पेट लाइन में लगे और बदन का एक हिस्सा ऑपरेशन के दर्द से सिहरता रहे. किसी को चक्कर आ रहा है तो किसी को गैस हो जा रहा है. इन औरतों के लिए समाज तो आज नहीं बदल गया. उनके पीछे बच्चे भूखे हैं, घर में खाना नहीं पका है. जब वे कहती हैं कि कुछ नहीं है पकाने के लिए तो यकीन नहीं होता.