दिल्ली का चुनाव सांप्रदायिक मुद्दों के हाईवे पर पहुंच गया है. विकास पर चुनाव लड़े जाने का भ्रम पूरी तरह दरक गया है. प्रेस कांफ्रेंस और भाषणों में औपचारिकता के लिए सड़क और स्कूल के सवाल उठ रहे हैं लेकिन माहौल बनाने के लिए काम आ रहा है, पाकिस्तान, शाहीन बाग़, गद्दार, गोली मारो और वो लोग. जिस तरह से दो दिनों में इन बातों को लेकर हमले तेज़ हुए हैं, उसमें गति इतनी थी कि ज़ुबान फिसलने की बजाए उन्हीं रणनीतियों की भाषा बोलने लगी है जिन्हें अगले दो हफ्तों के लिए बनाया गया है. शरजील इमाम पर आते हैं. 25 जनवरी को बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा शरजील इमाम का एक छोटा सा ढाई मिनट का वीडियो ट्विट करते हैं और वायरल हो जाता है. पहले ये धारणा बन जाती है कि यह वीडियो शाहीन बाग का है लेकिन पता चलता है कि अलीगढ़ का है. असम को लेकर दिए गए इस बयान को ऐसे पेश किया गया कि शरजील ने असम को भारत से काटने की बात करता है. ज़ाहिर है कोई बर्दाश्त नहीं करेगा. करना भी नहीं चाहिए, लेकिन क्या वो ऐसा ही कह रहा है? शरजील ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है कि चक्का जाम की बात कर रहा था.