कलबेलिया जनजाति से ताल्लुक रखन वाला 19 साल का सुरेश कचरा चुनने का काम करता है. स्वास्थ्य सेवाओं, सुरक्षात्मक गियर और अपने अधिकारों के बारे में जानकारी की कमी के कारण उसे अपना बायां आंख खोना पड़ा. सुरेश अकेला ही स्वास्थ्य सेवाओं की अभाव का शिकार नहीं है, पारंपरिक और सामाजिक-सांस्कृतिक मान्यताओं के साथ-साथ आधुनिक चिकित्सा की समझ और विश्वास की कमी के कारण जनजातीय समुदाय औपचारिक देखभाल को उतनी महत्ता नहीं देते हैं. ऐसे में जनजातीय समुदायों की जरूरतों और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए पब्लिक हेल्थकेयर प्रणाली का पुनर्गठन और मजबूत करना आवश्यक है. तभी हम सभी के लिए स्वास्थ्य सुनिश्चित कर सकते हैं.