हम सभी एक राजनीतिक दल को बेहद सीमित नज़रिए से देखते हैं. फलां पार्टी हारेगी या जीतेगी, नेता का ब्रांड चमक रहा है या फीका पड़ गया है. मगर इसी के साथ राजनीतिक दल के भीतर कई प्रक्रियाएं एक साथ चल रही होती हैं. जैसे हम नहीं जानते कि आईटी सेल के आगमन के बाद पार्टी के स्वाभिमानी और मेहनती कार्यकर्ताओं की भूमिका कैसे बदल गई है. क्या उनकी जगह मुख्यालय से लेकर ज़िलों के कार्यालय तक में आईटी सेल चलाने वाले खुद को महत्वपूर्ण कार्यकर्ता समझने लगे हैं और पुराने कार्यकर्ताओं का काम सिर्फ व्हाट्सएप में भेजे गए संदेशों को फार्वर्ड करना रह गया है. राजनीतिक दल बहुत बदले हैं. इस चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दूसरी बार के लिए दावेदारी कर रही है, कई ज़िलों में उसके नए कार्यालय बनकर तैयार हो चुके हैं.