आपको ओडिशा की नियामगिरि की पहाड़ियों की याद होगी. वहां पंचायतों ने अपने यहां से बड़ी पूंजी की कोशिशों को बेदखल करने में कामयाबी हासिल की थी. अब वैसी ही लड़ाई बस्तर में बैलाडिला के पहाड़ों पर चल रही है. वहां हज़ारों की तादाद में आदिवासी अपने जंगल और पहाड़ को बचाने के लिए जुट गए हैं. उनका इरादा अनिश्चितकालीन आंदोलन चलाने का है. अगर दिल्ली में इतने लोग जुट जाते तो शायद राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बन जातीं. लेकिन वह बस्तर है, दंतेवाड़ा है. ये इलाक़ा ख़बर में तब आता है जब सुरक्षा बलों के जवान शहीद होते हैं या माओवादी मारे जाते हैं. जब वहां शांतिपूर्ण आंदोलन चल रहा है जिसमें गरीब आदिवासी शामिल हैं तब किसी की नज़र नहीं है. दिलचस्प ये है कि इस आंदोलन को तमाम राजनीतिक दलों ने भी अपना समर्थन दिया है.