उन्नाव से लेकर कठुआ तक नाबालिगों से गैंगरेप की ख़बरों के बाद नाबालिगों से रेप पर फांसी की मांग तेज़ हो गई. सरकार ने भी बाकायदा पॉक्सो में बदलाव कर दिया और कहा कि छह महीने के भीतर न्याय की प्रक्रिया पूरी हो जाए. लेकिन क्या ये व्यावहारिक तौर पर मुमकिन है? पॉक्सो के तहत जितने मामले लंबित हैं और उनमें जितना समय लग रहा है, उसे देखकर लगता है कि कानून के बावजूद इस पर अमल संभव नहीं होगा. हमारी सहयोगी सोनल मेहरोत्रा ने पॉक्सो पर अपने शोध के दौरान पाया कि वहां बरसों से ऐसे केस लटके पड़े हैं.