आध्यात्म की राह पर निकलीं शुभांगी अत्रे यानी अंगूरी भाभी, पति से अलग होने के बाद तलाश रही हैं सुकून!

शुभांगी अत्रे यानी की अंगूरी भाभी हाल में मानसिक शांति के लिए कोयंबटूर पहुंची हुई थीं.

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शुभांगी अत्रे
नई दिल्ली:

आज की बिजी लाइफ में मानसिक सुकून मिलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. ऐसे में योग की शरण में जाने से आत्मा को भी काफी संतुष्टि मिलती है. एंड टीवी के शो 'भाभीजी घर पर हैं' की अंगूरी भाभी यानि शुभांगी अत्रे ने हाल ही में कोयंबटूर में योग और आध्यात्म की शरण ली थी. उन्हें आध्यात्मिकता की खोज करने, तरोताजा होने और खुद को जानने का मौका मिला. हाल ही में आध्यात्म की शरण में जाने को लेकर शुभांगी अत्रे, यानि अंगूरी भाभी ने कहा, "कोयंबटूर का ईशा फाउंडेशन बड़ी खूबसूरती से परंपरा, आधुनिकता और प्राकृतिक सौंदर्य का संयोजन करता है. शहर के बाहरी क्षेत्र  में मौजूद एक सक्षम योगा सेंटर में दिन बिताने से बहुत शांति मिली. अच्छी तरह से व्यवस्थित आश्रम में शांति थी. मैंने ध्यान किया, योग किया और ध्यानलिंग के इर्द-गिर्द की हरियाली में रम गई. लिंग भैरवी देवी सेंटर में जाने से मन की शांति और भी बढ़ गई. क्लेश नाशन क्रिया और देवी अभिषेकम करने से मुझे देवी की अलौकिक उपस्थिति का अनुभव हुआ. फिर लिंग भैरवी देवी को ग्यारह प्रसाद चढ़ाना शुद्धि के लिये था. उसमें आध्यात्मिक ऊर्जा की शुद्धि के लिये आग और तत्वों का प्रयोग हुआ था."

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उन्होंने कहा, " शाम को वहां आनंददायक मेल-जोल हो रहा था. वहां समान सोच वाले लोग सामूहिक ध्यान, मंत्रोच्चार और सारगर्भित चर्चाएं कर रहे थे. शरीर और आत्मा को वहां की विशेष खाने-पीने की चीजों ने बड़ी कुशलता से पोषित कर दिया और मुझे पूरा संतुलन मिला. आध्यात्मिक वातावरण और सकारात्मक ऊर्जा ने मेरी आत्मा पर गहरी छाप छोड़ी. वहां बिताये गये समय को याद करते हुए मैं अपने को जानने और आध्यात्मिक स्वर्ग का स्पर्श करने के लिये आभारी हूं. यह यात्रा मेरे दिल में बस गई है. मेरे साथ अब अच्छी सेहत और खुद से लगाव का एक नया एहसास है. कोयंबटूर के पास परंपरा और आधुनिक खूबसूरती का एक समृद्ध चित्रपट है. इसलिये वह आत्मा को तृप्त कर देने वाला गंतव्य है." 

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कोयंबटूर में घूमने-फिरने के बारे में शुभांगी ने आगे कहा, "कोयंबटूर के स्वादिष्ट पकवानों का आनंद लेना मेरी यात्रा में महत्वपूर्ण था. विभिन्न पकवानों का अनुभव करना, जैसे कि दक्षिण भारत का मशहूर डोसा और कोथू परोटा जैसे स्थानीय व्यंजन, बड़ी खुशी देने वाले थे. स्थानीय बाजारों में जाने से भी आनंददायक अनुभव मिली. मैंने पारंपरिक सिल्क साड़ियां, हैंडीक्राफ्ट और मसाले खरीदे. यह मेरी शानदार यात्रा की यादगार सौगातें हैं."

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